याद है मुझे ........
वो तितलियों के पीछे भागना ,
और झुंडों में उलझ कर गिर जाना ||
याद है मुझे ........
वो बादलों की छायाँ के साथ-साथ दौड़ लगाना,
और हमारा उनसे हार जाना ||
याद है मुझे ........
पक्षिओं के पंख मुट्ठी में बंद करके फूँक से उडाना,
और उसे फिर से पकड़ना ||
याद है मुझे ........
जहाज की आवाज सुनते ही घर से बाहर निकल आना,
और जहाज की आवाज से भी ज्यादा सोर मचाना ||
याद है मुझे ........
उडती चीलों को अपनी पतंग बना लेना,
और बिना पतंग और डोर के पेच लड़ाना ||
याद है मुझे ........
पत्थर को यमुना में फेंकना,
और उसे ढूंड लाने के लिए दुबकी लगाना ||
याद है मुझे ........
मोहना की हर मन-मोहनी यादें ,
जो मेरे मन को महका देती हैं ||
......... जितेंदर मोहना ( बिट्टू )
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