मंगलवार, सितंबर 06, 2011

याद है मुझे ( स्मिर्ति )

याद है मुझे ........ 

वो तितलियों के पीछे भागना ,
और झुंडों में उलझ कर गिर जाना ||

 याद है मुझे ........

वो बादलों की छायाँ के साथ-साथ दौड़ लगाना,
और  हमारा उनसे हार जाना ||

 याद है मुझे ........

पक्षिओं के पंख मुट्ठी में बंद करके फूँक से  उडाना,
और उसे फिर से पकड़ना ||

 याद है मुझे ........

जहाज की आवाज सुनते ही घर से बाहर निकल आना,
और  जहाज की आवाज से भी ज्यादा सोर मचाना ||

 याद है मुझे ........

उडती चीलों को अपनी पतंग बना लेना,
और  बिना पतंग और डोर के  पेच लड़ाना ||

 याद है मुझे ........

पत्थर को यमुना में फेंकना,
और  उसे ढूंड लाने के लिए दुबकी लगाना ||

याद है मुझे ........

मोहना की हर मन-मोहनी यादें ,
जो मेरे मन को महका देती हैं ||
                                                         ......... जितेंदर मोहना ( बिट्टू )






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