गाँव मोहना में नवरातों की अष्टमी को माँ कालका का मेला लगता है ।
आस -पास के गाँव के लोग मेला देखने आते हैं तथा माँ कालका जी के दर्शन पाते हैं ।
माँ कालका भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं ।
मेले के उपलक्ष में दंगल का आयोजन भी किया जाता है ।
दूर - दूर से पहलवान दंगल में भाग लेने आते हैं था विजेता पहलवान को इनाम दिया जाता है ।
कहा जाता है की माँ कालका मोहना मंदिर का निर्माण पांडवों ने आज्ञात वास के दौरान किया था ।
मंदिर के आस - पास विशाल आकार पत्थर पांडवों के मजले भाई भीम के द्वारा लाये गए थे ।
आस -पास के गाँव के लोग मेला देखने आते हैं तथा माँ कालका जी के दर्शन पाते हैं ।
माँ कालका भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं ।
मेले के उपलक्ष में दंगल का आयोजन भी किया जाता है ।
दूर - दूर से पहलवान दंगल में भाग लेने आते हैं था विजेता पहलवान को इनाम दिया जाता है ।
कहा जाता है की माँ कालका मोहना मंदिर का निर्माण पांडवों ने आज्ञात वास के दौरान किया था ।
मंदिर के आस - पास विशाल आकार पत्थर पांडवों के मजले भाई भीम के द्वारा लाये गए थे ।
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