शुक्रवार, जून 15, 2012

मोहना गाव में निगम के दस्ते ने तोड़ - फोड़ की

मोहना गाव में काल शाम निगम के दस्ते ने तोड़ - फोड़ की   ।

पुराना बस स्टैंड के निकट कुछ दिनों पहले प्लाट काटे गए थे ।

उन्हीं प्लाट में नीम भरने के बाद भर्त का काम चल रहा था और एक दूकान भी बनी हुई थी ।

काल शाम को निगम के दस्ते ने वहां तोड़ - फोड़ की ।

निगम के अनुसार वो जमीं खेतों की है और खेतों की जमीन पर रहवास के लिए घर या दूकान नहीं बना सकते ।

मंगलवार, जून 12, 2012

शिद्ध बाबा का बदलता स्वरूप !!!!!

शिद्ध बाबा का वर्तमान मंदिर ।।।
शिद्ध बाबा के वर्तमान पद चिन्ह ।
शिद्ध बाबा का बदलता स्वरूप !!!!! 

लोगों ने शिद्ध बाबा का रूप ही बदल दिया । सायद लोगों को शिद्ध बाबा की भक्ति किसी और रूप में करनी थी ।
लोगों ने बाबा का मंदिर तो बदला ही बदला बाबा की पद चिन्ह ही बदल दिए ।।

शिद्ध बाबा का प्राचीन मंदिर  बहुत ही छोटा था जिसमे लोग झुककर बाबा के दर्शन करते थे । जिसका मतलब था की हमें हमेसा बड़ों के सामने नतमस्तक रहना चाहिए ।
शिद्ध बाबा के प्राचीन पद चिन्ह जो अब मंदिर से बहार निकाल कर पीपल के पेड़ के नीचे रह दिए हैं ।

प्राचीन शिद्ध के पद चिन्हों के बाद बाबा की  ये मूर्ति मंदिर में स्थापित की  गई  । बाद में किसी ने इस  बाबा की मूर्ति को  किसी नालायक तत्वों ने उठाकर यमुना में फैक दिया । अब ये मूर्ति वर्तमान मंदिर के बाजु वाले मंदिर में राखी हुई है ।

गुरुवार, जून 07, 2012

मोहिया पुर का नाम मोहना कैसे पड़ा

लोगों  द्वारा कही सुनी  :-

बहुत पुरानी बात है !!!! कहा जाता है की मोहना गाव पहले वर्तमान यमुना नदी के उस पार बस्ता था ! तब गावं का नाम मोहिया पुर था जो अब बिगड़ कर मोहना हो गया है ।
मोहिया पुर बहुत ही समृद्ध गावं था सभी लोग हंसी खुसी मिल -जुल कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे  थे ।

ज्यादा तर लोगों का व्यवसाय खेती बाड़ी था और वो खेती   के काम में ही व्यस्त रहते थे । कुछ खली समय मिलता तो लोग चौपालों पे अपने दुख सुख की बातें करते ।

गावं की ओरतें भी काँधे से कंधा मिला कर खेतों में मर्दों का हाथ बटाया करती थी।
किसी भी प्रकार का किसी को कोई कष्ट नहीं था ।

एक बार एक किसान परेशां सर पे हाथ रखके बैठा हुआ था । देखने से ही पता चल रहा था की बेचारा बहुत परेशां है सायद किसी की चिंता है उसको ।

तभी किसी ने उसके काँधे पे हाथ रखा उस व्यक्ति ने ऊपर की तरफ मुह उठाया तो उसने देखा की उसके सामने एक हट्टा - खट्टा एक नोजवान खड़ा है । उसने पूछा भाई परेशां से लग रहे हो क्या बात है ।
उस व्यक्ति ने कहा क्या बताऊँ भाई खेत में फसल खड़ी है , ऊपर से बारिस आने वाली है । लेकिन उसे काटने के लिए मजदुर नहीं मिल रहे है ।
नोजवान ने कहा की भाई परेसान मत हो सब ठीक हो जायेगा ।

फिर क्या हुआ देखते ही देखते सारी फसल कट गई और गड़ा भी लग गया । किसान यह देख कर हैरान रह गया ।

और दोनों की दोस्ती हो गई ।।। दोनों की मित्रता गहरी हो गई ।।।  कई दिन बीत गए ......।।।

वो किसान एक दिन गावं के और लोगों से साथ बैठा बात कर रहा था तो उसने अपनी फसल काटने वाली बात लोगों को बताई । लोग डर गए !!!!

लोगों ने उसको बताया की भाई उससे दोस्ती अच्छी नहीं वो तो कोई "जिन्न " (भूत ) है ।

वो किसान भी डर गया उसने उससे छुटकारा पाने का उपाय पूछा । लोगों से उसे बताया की अब जब वो आये तो उसे बैठने के लिए गर्म ईंट दे देना ।

किसान ने ऐसा ही किया जब वो जिन्न उससे मिलने उसके पास आया तो उसने आलव से निकल कर उसे गर्म ईंट बैठने को दी वो जल गया तो उस जिन्न को बहुत गुस्सा आया और उने मोहिया पुर गावं को तहस - नहस कर दिया । और एक सुन्दर सा मोहिया पुर गावं बर्बाद हो गया । सब लोग डर  के मारे वहां से भाग कर यमुना नदी के इस पार आ गए  और यहीं बस गए ।

 इस पार आने के बाद मोहिया पुर का नाम मोहना पड़ा ।।।।।





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